उच्चतम न्यायालय ने पिछले आदेश व चेतावनी के बाद भी लखनऊ में स्मारकों का निर्माण जारी रखने को अदालत के आदेश की अवहेलना माना है। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया है।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने मायावती सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर राजनीति नहीं कर सकती। मायावती सरकार का कहना है कि वह न्यायालय के आदेशों का पालन कर रही है। पर मंगलवार को न्यायमूर्ति बीएन अग्रवाल और न्यायमूर्ति आफ़ताब आलम के खंडपीठ ने कहा कि आदेश के बावजूद स्मारकों में निर्माण कार्य जारी रखना आदेश की अवमानना है।
न्यायालय ने राज्य के मुख्यसचिव अतुल गुप्ता को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि न्यायालय की अवमानना के लिए क्यों न उन्हें दंडित किया जाए।
याचिकाकर्ता गोमतीनगर जनकल्याण महासमिति के वकील अमित भंडारी ने कहा है कि न्यायालय इस बात से नाराज है कि 11 सितंबर के उनके आदेश का खुलेआम उल्लंघन किया गया है। प्रदेश सरकार ने उसके आदेश के बाद भी निर्माण कार्य बंद नहीं किया। इससे नाराज होकर राज्य के मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया गया है। अदालत ने चार नवंबर को उन्हें अदालत में उपस्थित रहने को भी कहा है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने इस मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित याचिकाओं के दायरे में आने वाले निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी थी। पर बाद में मीडिया में ख़बरें आईं कि न्यायालय के आदेश के बावजूद कुछ स्थानों पर निर्माण कार्य चल रहा है।