महिलाओं को एकता के सूत्र में पिरोता है योग

डॉ. शंकर सुवन सिंह

नारी राष्ट्र का अभिमान है। नारी राष्ट्र के विकास की नींव है। नारी सृष्टि की सुंदरता का अनमोल उपहार है। संस्कृत में एक श्लोक है- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः। अर्थात्, नारी की पूजा जहां होती है, वहां देवता निवास करते हैं। भारतीय संस्कृति में नारी के आदर को महत्व दिया गया है। लगभग सभी धर्मों में नारी सशक्तिकरण का उदाहरण देखने को मिलता है। वैदिक साहित्य में नारी को अत्यंत गरिमामयी स्थान प्रदान किया गया है। धर्म ग्रन्थ वेद महिलाओं को परिवार की सम्राज्ञी कहते हैं। महिलाएं देश की शासिका बनने का अधिकार रखती हैं। वेदों में स्त्री यज्ञीय है अर्थात् यज्ञ समान पूजनीय है। वेदों में नारी को ज्ञान देने वाली, सुख–समृद्धि लाने वाली, विशेष तेज वाली, देवी, विदुषी, सरस्वती, इन्द्राणी, उषा (जो सबको जगाती है) इत्यादि अनेक आदर सूचक नाम दिए गए । वेदों में स्त्रियों पर किसी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं है। उसे सदा विजयिनी कहा गया है। प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया  जाता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 की थीम/प्रसंग है – महिला सशक्तिकरण के लिए योग। इस वर्ष योग दिवस, महिलाओं के समग्र कल्याण व समग्र विकास की भावना के साथ मनाया जा रहा है। महिला सशक्तिकरण के लिए योग एक अद्भुत माध्यम है। योगासन करने से शारीरिक शक्ति, लचीलापन और सहनशक्ति बढ़ती है, जिससे महिलाएं जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम होती हैं। योग तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है, जिससे महिलाओं का मन शांत और एकाग्र होता है। योगाभ्यास से आत्मविश्वास बढ़ता है। योगाभ्यास से महिलाएं अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने लगती हैं। योगाभ्यास से आत्म-सम्मान बढ़ता है और महिलाएं खुद को स्वीकार करने लगती हैं। योग सकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है, जिससे महिलाएं जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना सकारात्मक रूप से कर पाती हैं। योगाभ्यास से आत्मरक्षा की क्षमता विकसित होती है, जिससे महिलाएं खुद को सुरक्षित रख पाती हैं। योग नेतृत्व कौशल विकसित करने में मदद करता है। महिलाओं में शक्ति का संचार करने के लिए निम्नलिखित योगासन इस प्रकार हैं- 1. सूर्य नमस्कार- यह आसन पूरे शरीर को सक्रिय करता है और ऊर्जा प्रदान करता है। 2. वृक्षासन- यह आसन एकाग्रता और संतुलन बढ़ाने में मदद करता है। 3. भुजंगासन- यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और छाती को खोलता है। 4. वीरासन- यह आसन पैरों और घुटनों को मजबूत करता है। 5. अधोमुख श्वानासन- यह आसन पूरे शरीर को खींचता है और तनाव कम करता है। 6. शवासन- यह आसन शरीर और मन को शांत करता है।

सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन महिलाओं के लिए योग शिविर और कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इन शिविरों में महिलाओं को योगासन, प्राणायाम, ध्यान और योग दर्शन सिखाया जाता है। यह महिलाओं को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है। यदि आप एक सशक्त महिला बनना चाहती हैं, तो योग को अपने जीवन का हिस्सा जरूर बनाएं। आज के समय में, योग महिला सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बनकर उभरा है। योग महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाता है। योग, रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है, जिससे महिलाएं बीमारियों से लड़ने में सक्षम होती हैं। योगासन से शारीरिक संतुलन बेहतर होता है। योग करने से शरीर का वजन नियंत्रित रहता है, जिससे मोटापे और मधुमेह जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है। योग आत्म-नियंत्रण की क्षमता को विकसित करता है, जिससे महिलाएं अपने आवेगों पर नियंत्रण रख पाती हैं। योग आंतरिक शांति प्रदान करता है, जिससे महिलाएं जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव का सामना शांतचित्त होकर कर पाती हैं। योग महिलाओं को सामाजिक रूप से भी सशक्त बनाता है। योग महिलाओं को एक साथ लाता है। योग सामुदायिक भावना को बढ़ावा देता है। योग महिला सशक्तिकरण के लिए एक बहुआयामी उपकरण है। अतएव यह महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाता है। भारतीय महिलाएं, खासकर शहरी क्षेत्रों में, स्वास्थ्य और फिटनेस को लेकर अधिक जागरूक हो रही हैं।

योग विभिन्न प्रकार के आसनों और प्राणायाम के माध्यम से महिलाओं को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करता है। ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से महिलाएं अपने मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकती हैं। यह अवसाद, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं से निपटने में प्रभावी है। योगाभ्यास के दौरान आत्म-स्वीकृति और आत्म-सम्मान की भावना प्रबल होती है, जो महिलाओं को सामाजिक और व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूत बनाती है। भारतीय समाज में योग का एक गहरा सांस्कृतिक महत्व है। यह एक ऐसी परंपरा है जो पीढ़ियों से चली आ रही है और महिलाओं में इसे लेकर एक विशेष स्थान है। आजकल, योग शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। कई महिलाएं योग शिक्षिका बनकर न केवल अपने जीवन को सुधार रही हैं, बल्कि समाज में भी योगदान दे रही हैं। योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं है। यह एक जीवनशैली है जो समग्र विकास को प्रोत्साहित करती है। भारतीय महिलाएं योग के माध्यम से एक संतुलित और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की दिशा में अग्रसर हो रही हैं। यह उन्हें स्वस्थ खान-पान, नियमित व्यायाम, और सकारात्मक सोच की ओर प्रेरित करता है। योग का अभ्यास आत्म-साक्षात्कार और आंतरिक शांति की ओर ले जाता है, जिससे व्यक्ति जीवन में अधिक संतुलित और संतुष्ट महसूस करता है। योग, आयुर्वेद का हिस्सा है। आयुर्वेद विज्ञान एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है जो प्राकृतिक उपचार पद्धतियों और जीवन शैली पर आधारित है। यह शरीर, मन, और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखने पर जोर देती है। आयुर्वेद में तीन मुख्य दोष (वात, पित्त, कफ) होते हैं, जो शरीर की जैविक ऊर्जाएं हैं। स्वस्थ जीवन के लिए इन दोषों का संतुलन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा में हर्बल औषधियाँ, पंचकर्म (शुद्धिकरण प्रक्रियाएँ), और आहार संबंधी सिफारिशें शामिल हैं। यह न केवल रोगों का उपचार करता है बल्कि उनकी रोकथाम पर भी जोर देता है। आयुर्वेदिक जीवनशैली में दैनिक और मौसमी दिनचर्या, योग अभ्यास, और ध्यान शामिल हैं, जो दीर्घायु और स्वस्थ जीवन को प्रोत्साहित करते हैं। योग और आयुर्वेद दोनों का उद्देश्य शरीर और मन के बीच संतुलन बनाए रखना है। योग करने से महिलाएं सशक्त होती हैं। सशक्त महिलाओं से समाज में संतुलन की स्थिति पैदा होती है। संयुक्त परिवार की शक्ति का केंद्र बिंदु महिलाएं ही हैं। महिलाएं सशक्त होंगी तो परिवार भी सशक्त होगा। योग परिवार को जोड़ने का काम करता है। योग अर्थात जोड़ना। महिलाएं, योग के द्वारा परिवार, समाज और देश में एकता को बल प्रदान करती हैं। योग एक होने का ही नाम है। एकता का सूत्र, योग के द्वारा ही संभव है। महिलाएं योग के द्वारा संतुलित जीवनशैली को प्रोत्साहित करती हैं। योग से महिला सशक्तिकरण को बल मिलता है। नारी सशक्त बनेगी तो देश सशक्त बनेगा। योग, महिला सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली साधन है। योग, महिला सशक्तिकरण का केंद्र बिंदु है। अतएव हम कह सकते हैं कि योग, महिलाओं को एकता के सूत्र में पिरोता है।

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