—विनय कुमार विनायक
आज भारतवर्ष का सनातन धर्म विभिन्न आस्था
और अवस्था से गुजर कर इस मुकाम पर पहुँचा,
जहाँ से हम पीछे की स्थिति में लौट नहीं सकते,
वस्त्र त्याग कर नग्न जिन मुनि नहीं बन सकते,
ब्याहता को छोड़कर गौतम बुद्ध नहीं बन सकते!
आज हम ये कहकर सनातन से मुकर नहीं सकते
कि श्रीराम ब्राह्मणवादी, नारीद्रोही शंबूक शूद्रहंता थे
रामचरित्र को लांक्षित करने की कवियों की कृति ये
जीवन से मृत्यु तक राम रमे हिन्दू की चित्तवृत्ति में!
आज हम ये कहकर सनातन को धिक्कार नहीं सकते
कि श्रीकृष्ण सोलह हजार एक सौ आठ रानियों के होते
पराई नारी राधा और गोपियों से रास लीला रचाते थे
ये श्रृंगारिक कवियों के द्वारा चरित्र हनन के प्रयास थे!
आज किसी खुन्नस से यह सिद्ध करना पागलपन है
कि राम कृष्ण के पूर्व बुद्ध महावीर पैदा हो चुके थे
या राम कृष्ण काल्पनिक व बुद्ध महावीर वास्तविक थे
आज हमारे लिए यह कहना भी सरासर गलत होगा
कि अहिंसावादी बौद्ध धर्म वैदिक कर्मकांड से प्राचीन है!
व्यवहारिक सत्य ऐसा प्रतीत होता
कि वैदिक परम्परा के पाखंड कर्मकांड पशुबलि के खिलाफ
बुद्ध महावीर का अवतरण हुआ,
महावीर के पूर्व भी तीर्थंकर हुए,बुद्ध के बाद बोधिसत्व हुए थे
ब्राह्मणवाद जातिप्रथा मानवों के बीच घृणाद्वेष के विरूद्ध
सिर्फ बुद्ध नहीं चौबीस जैन तीर्थंकर दस गुरु अवतरित हुए थे!
आज सनातन धर्म उस पड़ाव पर है जो हिन्दू धर्म कहलाता
जिसमें एक साथ है मर्यादा पुरुषोत्तम राम का मर्यादित चरित्र
विषम परिस्थिति में अवतरित हुए कृष्ण का सबके प्रति प्रीत
सबके लिए कर्म भक्ति जन्म मृत्यु पुनर्जन्म का गीता ज्ञान
बुद्ध की जीव जन्तुओं के प्रति अहिंसा दया करुणा की रीति
महावीर का लोभ मोह इच्छा वासना सर्वस्व त्याग की प्रवृत्ति!
आज अगर हिन्दू जाति के व्यक्तित्व में है सर्वाधिक सहिष्णुता
आज अगर कोई हिन्दू किसी को पीठ पीछे से वार नहीं करता
पथ में कंटक नहीं उगाता खंदक नहीं खोदता पत्थर नहीं फेंकता
हिन्दू मृदुभाषी सौम्य सरल शालीनता पूर्ण सद्व्यवहार करता
तो उसके पीछे राम कृष्ण बुद्ध जिन नानक गोविंद की शिक्षा!
आज का हिन्दू धर्म प्राचीनता पर आसीन पुनरीक्षित नवीन ये
आज एक मंदिर में विपरीत स्वभाव के अनेक देवता पूजे जाते
शैव शाक्त वैष्णव बौद्ध जैन के बीच बहुत विभेद होते थे पहले
अक्सर ब्रह्मा और शिव के भक्त दैत्य दानव राक्षस हुआ करते थे
बज्रयानी तंत्रयानी बौद्ध भूत-प्रेत डाकिनी तारा भैरवी को पूजते थे!
आज कोई शुद्ध बौद्ध नहीं, शुद्ध शैव शाक्त वैष्णव भी नहीं
सब एक दूजे से घुले मिले,सूर्य-अग्निपूजक भी लिंगपूजक हो गए
अब बौद्ध भिक्षुणी मँजूश्री तारादेवी और दुर्गा काली में भेद नहीं
बौद्ध भूमि बिहार बंगाल असम उड़ीसा में शुद्ध बौद्ध खोजो नहीं
दुर्गा तारा काली शिव-शक्ति आराधना बौद्ध तंत्र साधना से निकली!
जिन प्रकृति पूजक आर्य महापुरुषों ने मूर्ति पूजा का विरोध किया था
उनकी मूर्ति पहले बनी, पूजी गई, आर्य बुद्ध मूर्ति से बुतपरस्ती चली,
आर्य राम ने प्रकृति पूजा के साथ रावण से शिवलिंग स्थापित कराया,
गोवर्द्धन पर्वत पूजक कृष्ण संग आचार्यों ने राधा की प्रतिमा लगा दी,
रामायण महाभारत पुराण में सिर्फ ब्रह्मा विष्णु शिव इंद्र नहीं,बुद्ध भी!
अब तो बुद्ध विष्णु हो गए और बुद्ध का शिव में विलय हो गया
यह कहना बिल्कुल गलत होगा कि बुद्ध का भारत में लय हो गया
बल्कि सत्य यह है कि बौद्ध शैव वैष्णव शाक्त में समन्वय हो गया
बोधिसत्व हाथी गजमुख गणेश, बुद्ध जैन का वृषभ नंदी भैरव हो गया
बौद्ध भिक्षुणी मँजूश्री महिषासुर मर्दिनी, तारादेवी माँ तारा काली बनी!
आज हिन्दू धर्म महायान वज्रयान तंत्रयान बौद्ध धर्म का मिश्रण है,
बोधिसत्व अवलोकितेश्वर ही अर्धनारीश्वर शिव है, तारा ही काली है,
जहाँ भी उत्खनन हुआ वहाँ बुद्ध व बोधिसत्वों की मूर्तियाँ मिली है,
मँजूश्री तारादेवी नारी बोधिसत्व की प्रतिमा शीर्ष पे बुद्ध की मूर्ति है,
महायान बौद्ध शाखा का गजमुख बोधिसत्व हिन्दुओं का गणपति है!
आज हिन्दू धर्म की अहिंसा करुणा में भगवान बुद्ध जीवित हैं,
हिन्दू की त्यागी और मोक्ष पाने की प्रवृत्ति में महावीर उपस्थित हैं,
मातृ पितृ भक्ति भातृ प्रेम मर्यादित चरित्र में राम सन्निहित हैं,
हिन्दू धर्म के सत्यमेवजयते के प्रति विश्वास कृष्ण से संपोषित है,
हिन्दू धर्म में देशभक्ति व सर्वस्व बलिदान गुरुगोविंद से प्रेरित है!
हिन्दू एक ईश्वर का आज्ञाकारी और दूसरे के प्रति अहंकारी नहीं होता,
हिन्दू दूसरे धर्म पंथ के साथ घृणा द्वेष एहसान फरामोशी नहीं करता,
हिन्दू को जन जन कण कण से आस्था, खास ईश्वर से नहीं वास्ता,
हिन्दू हर जीव जंतु बीज धरती अंबर पेड़ पौधे पर्वत सागर को पूजता,
माँ पिता ईश्वर से अधिक पूजनीय, धरती भोजन आश्रयदायिनी माता,
हिन्दू सर्वाधिक तार्किक होता, अंधविश्वास घकोसलाबाजी से दूर रहता!
—विनय कुमार विनायक