मुंबई की हाजी अली दरगाह में प्रवेश को लेकर महिला अधिकार कार्यकर्ताओं की लड़ाई कामयाब हो गयी है। हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया है कि पुरुषों की ही तरह महिलाओं को भी दरगाह के भीतरी हिस्सें में जाने की अनुमति होगी।
ट्रस्ट ने अदालत को बताया कि महिलाओं को इस हिस्से तक जाने देने के लिए एक नए रास्ते का निर्माण दो हफ्ते में पूरा कर लिया जाएगा। इस आश्वसान के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने फिर दोहराया कि ट्रस्ट को बांबे हाईकोर्ट के आदेश को लागू करना होगा। इससे पहले बांबे हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर नूरजहां साफिया और ज़ाकिया सोमन की याचिका पर महिलाओं के प्रवेश पर रोक को असंवैधानिक ठहराया था।
हाजी अली दरगाह में प्रवेश का पूरा मामला तब सुर्खियों में आया जब 2012 में ट्रस्ट की ओर से दरगाह के भीतरी हिस्से में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी, जबकि इससे पहले इस तरह का कोई नियम नहीं था। 2014 में यह मामला एक जनहित याचिका के ज़रिए बांबे हाईकोर्ट पहुंचा जिसने ट्रस्ट के आदेश को संविधान के अनुच्छेद 14 यानि समानता के अधिकार, अनुच्छेद 15 यानि भेदभाव के खिलाफ और अनुच्छेद 25 यानि धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के विपरीत पाया।
इस फैसले के खिलाफ ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। अब ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया है महिलाओं के लिए अलग प्रवेश मार्ग तैयार कर वह इस मामले में अपना हलफनामा दायर करेगा। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगा।