बेनामी सम्पत्ति निषेध विधेयक को मंत्रिमंडल की मंजूरी
नई दिल्ली,। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश में बेनामी संपत्ति निषेध विधेयक, 2015 को भी मंजूरी दे दी है, जो 1988 के विधेयक की जगह लेगा । इस विधेयक में बेनामी सम्पत्ति जब्त करने के अलावा मुकदमा दायर करने का भी प्रवाधान है । काले धन की बुराई के खिलाफ संघर्ष में राजग सरकार की यह एक और पहल है ।कालेधन पर लगाम कसने के लिए बेनामी ट्रांजैक्शन संशोधन विधेयक 2015 को मंजूरी दे दी है । नए कानून से बेनामी प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त और अवैध रूप से की गई खरीदारी पर रोक लगाने की तैयारी है । इसके तहत कोई व्यक्ति अगर बेनामी कानून का उल्लंघन करते हुए पाया गया, तो न केवल उसकी संपत्ति जब्त होगी बल्कि उसे सजा भी दी जा सकेगी । मोदी सरकार इस कानून कोलागू कर कालेधन को लेकर उस पर हो रहे विपक्ष के चौतरफा हमले के दबाव को भी कम करना चाहती है ।केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 के बजट में इस बात का प्रावधान किया है, कि वह देश में कालेधन के इस्तेमाल पर लगाम कसने के लिए कानून लाएगी। बेनामी ट्रांजैक्शन (प्रोअबिशन) संशोधन 2015 साल 1988 के कानून की जगह लेगा । सरकार की नए कानून से कोशिश है कि रियल एस्टेट और गोल्ड की खरीदारी में बेनामी रूप से हो रहे लेन-देन पर लगाम लगाई जाए। जिससे कि कालेधन का इस्तेमाल देश में कम हो सके ।नया बेनामी कानून साल 1988 के पुराने बेनामी ट्रांजैक्शन कानून की जगह लेगा। जिसे मूर्त रुप देने के लिए केंद्र सरकार को संसद से मंजूरी लेनी पड़ेगी । इसके पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में कहा था कि नए कानून से कालेधन की चल रही सामानांतर अर्थव्यवस्था पर अंकुश लगेगा । कालेधन पर पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआपीएफपी) की साल 2014 की रिपोर्ट के अनुसार भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 71 प्रतिशत के करीब कालाधन है । जो कि अर्थव्यवस्था के समानांतर चल रही व्यवस्था है । रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा कालाधन के स्रोत रियल एस्टेट, गोल्ड और डायमंड ट्रेड, उच्च शिक्षण संस्थान और खनन क्षेत्र हैं ।एनआईपीएफपी के अनुसार दिल्ली, कोलकाता, बंगलुरू जैसे मेट्रोपोलिटन शहरों में रियल एस्टेट सेक्टर में 50 से 78 प्रतिशत कालेधन का इस्तेमाल होता है । जबिक छोटे शहरों में ज्यादातर खरीदारी नगद के रुप में होती है। जो कि ब्लैकमनी का एक बड़ा स्रोत है। इसके अलावा शेयर बाजार की आड़ में डब्बा मार्केट जैसी व्यवस्था भी खड़ी हो गई है । जिसके जरिए भी कालेधन बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रही