यह पार्टी भी पुरानी पार्टियों की तरह आम लोगों से दूर हो सकती है। ‘आप’ के लीडर, जो इसको आम लोगों की पार्टी कह रहे हैं, जिनमें साधारण व्यक्तियों को आगे लाने की दावेदारी की जा रही है व कहा जा रहा है कि आम लोगों को ही टिकटें देकर व विजयी बनाकर विधानसभा में भेजा जाएगा क्योंकि आम लोगों में से उठे साधारण लोग ही जनता की दुख-तकलीफों को नजदीक से समझ कर दूर करने में सहायक हो सकतेे हैं। अगर आने वाले समय में आम की बजाय खास लोगों को टिकटें दी जाती हैं तो जीतने से पहले ही पार्टी के अंदर बड़ा तूफान खड़ा हो सकता है।
पंजाब में ‘आप’ में लोगों को आशा की किरण नजर आई क्योंकि यह ईमानदार व आम लोगों की पार्टी है, इसके आने से भ्रष्टाचार, महंगाई व बेरोजगारी खत्म होगी। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के नेता दिल्ली से आकर पंजाब में कमान संभाल रहे हैं। इससे पंजाब के लीडरों को आजाद तौर पर काम न करने की राजनीति दिख रही है। लगता है कि यहां के लीडर सिर्फ टिकटें हासिल करने के लिए ही चुपचाप सब कुछ सहन कर रहेे हैं परंतु टिकटें मिलने के उपरांत पार्टी 2 भागों में बंट सकती है। आम की जगह खास व्यक्तियों को पार्टी में शामिल करने से पंजाब के लोगों का मोह इस पार्टी से भंग हो सकता है। इससे पंजाब में अकाली, भाजपा, कांग्रेस व ‘आप’ में कोई खास फर्क नजर नहीं आएगा।