कांग्रेस ने डा. बी.आर. अम्बेदकर के 125वें जन्मदिवस संबंधी सारा साल देशभर में कार्यक्रम करने के फैसले के तहत एक सम्मेलन का आयोजन तो दलितों की बात सुनकर उसके मुताबिक पार्टी की नीतियां बनाने के नाम पर किया है लेकिन उसके पहले दिन का सैशन एजैंडे के उल्ट नेताओं के भाषणों तक सिमट कर रह गया।इस मौके पर पंजाब कांग्रेस प्रधान कैप्टन अमरेन्द्र सिंह, प्रभारी शकील अहमद, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अंबिका सोनी, संतोष चौधरी हरीश चौधरी, पूर्व प्रधान शमशेर दूलो, प्रताप सिंह बाजवा, मोहिन्द्र सिंह के.पी., नेता विपक्ष चरणजीत चन्नी, एस.सी. कमीशन के वाइस चेयरमैन राज कुमार वेरका, सांसद रवनीत बिट्टू, संतोख चौधरी, साधु सिंह धर्मसोत, विक्रम चौधरी, जोगिन्द्र मान, डा. राज कुमार चब्बेवाल, कन्वीनर पवन कुमार, एकता भगत आदि विशेष तौर पर शामिल हुए व अधिकतर ने कांग्रेस द्वारा दलितों के लिए कामों का ही बखान किया।
कैप्टन ने अकालियों को निशाना बनाते हुए कहा कि उन्हें अपने घर भरने से फुर्सत नहीं और दलित वर्ग की सुध नहीं ली जा रही जिसके तहत कांग्रेस द्वारा शुरू की गई पैंशन व शगुन स्कीमों को ठीक से नहीं चलाया जा रहा और लोगों को कई महीनों से उसका लाभ नहीं मिल रहा। यही हाल मनरेगा का है जिसका पैसा अमीर अकालियों की जेब में जा रहा है।जहां तक इस सम्मेलन में पंजाब भर के हर हलके से बुलाए 15 डैलीगेटों के सुझाव लेने का सवाल था, उनको सुबह बुलाकर बैठा लिया गया और बोलने का मौके देने की जगह दोपहर 3 बजे तक यह कहकर लंच नहीं शुरू किया गया कि कैप्टन का संबोधन पूरा होने तक इंतजार करना पड़ेगा। इस पर डैलीगेटों को खाने के लिए पंडाल से बाहर व किचन तक जमा होते देखा गया जिसका परिणाम कैप्टन सहित कई नेताओं के बोलने से पहले ही आधा पंडाल खाली होने के रूप में सामने आया।
समारोह को लेकर कांग्रेसियों ने शहर में होॄडगों से चौकों व सड़कों के अलावा दिशासूचक बोर्डों पर भी कब्जा कर लिया जो निगम खासकर सत्ताधारियों को नागवार गुजरा जिस पर तहबाजारी टीम इन होॄडगों को उतारने निकल पड़ी जिस पर कांग्रेसी काफी परेशान हुए।शमशेर सिंह दूलो ने कहा कि दलितों को वोट बैंक तक सीमित कर दिया गया है, जबकि उनको पार्टी या सरकार तो क्या टिकटों के लिए नेताओं की मिन्नतें करनी पड़ती हैं। उन्होंने सीधा कैप्टन पर निशाना साधते हुए कहा कि वह सीढ़ी बनने की जगह दलितों को सीधा हाईकमान से सम्पर्क करने दें। अगर अपनी पार्टी के दलितों को ही संभाल लिया जाए तो बसपा के पीछे भागने की जरूरत नहीं है। हालांकि कैप्टन अपनी जिद पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि समान विचारधारा वाली धर्मनिरपेक्ष पाॢटयोंं के रूप में बसपा, सी.पी.आई. व सी.पी.एम. के साथ चुनावी समझौता करने में कोई बुराई नहीं है।
समारोह में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के मुकाबले मनप्रीत बादल का क्रेज भी देखने को मिला जिन्होंने हाल ही में पी.पी.पी. का कांग्रेस में विलय किया है। उनके भाषण की जहां तारीफ हुई, वहीं समारोह में आए कांग्रेसियों में उनको मिलने व साथ फोटो ङ्क्षखचवाने का उत्साह दिखा।बिट्टू व आशु का रोल तो वैसे आयोजकों के रूप में था लेकिन उन दोनों ने स्टैंड से दूर रहकर चर्चा छेड़ दी। आशु पुरा समय मेन गेट पर डटे रहे और बिट्टू नेे ज्यादा समय पब्लिक के बीच बैठकर बिताया जो कई बार बुलाने के बावजूद स्टेज पर नहीं गए।जब कैप्टन सम्बोधित करके गए तो मंच पर अकेले पंजाब प्रभारी शकील अहमद रह गए जिनका साथ वेरका व बिट्टू ने दिया।
कैप्टन अमरेन्द्र सिंह भले ही कांग्रेस से दूर जा रहे दलित वर्ग की नाराजगी दूर करने आए थे लेकिन उनके फाइव स्टार होटल में रुकने को लेकर चर्चा छिड़ गई जिस पर उनके स्टाफ ने होटल जाने की जगह मैरिज पैलेस के आफिस में ही लंच की व्यवस्था कर दी जहां जगह कम होने कारण फिर स्टेज के आगे पब्लिक में बैठकर ही खाना खाने का प्रोग्राम बना।