रंजीत सिन्हा का टू जी के आरोपियों से मिलना गलत: उच्चतम न्यायालय
नई दिल्ली,।केंद्रीय जांच अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व प्रमुख रंजीत सिन्हा को टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपियों से अपने आवास पर मिलने को उच्चतम न्यायालय ने अनुचित ठहराया है । अदालत ने इस मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को अदालत की मदद करने को कहा है । इसके साथ ही अदालत ने सीवीसी से कहा कि वह कोलगेट और टू जी घोटाले के आरोपियों समेत अन्य लोगों के साथ श्री सिन्हा की कथित मुलाकातों पर एक रिपोर्ट तैयार करे । इस मामले की जांच केंद्रीय सर्तकता आयोग करे और जांच का तरीका क्या होना चाहिए यह भी बताए।केंद्रीय सर्तकता आयोग को सरकारी कर्मचारियों के कथित अपराधों की जांच करने का अधिकार दिया गया है। सतर्कता आयोग सीबीआई द्वारा की गई जांच की प्रगति की समीक्षा करने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत आने वाले कथित अपराधों पर मुकद्दमें की मंजूरी देता है। आयोग भ्रष्टाचार से निपटने के लिए प्रभावी निवारक उपाय करने पर बल देता है तथा सरकार के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने पर भी जोर देता है।न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की पीठ ने मामले में 13 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सिन्हा ने अपने उपर लगाए गए आरोपो के बारे में कहा था कि इसके पीछे एक प्रशांत भूषण का हाथ है। भूषण ने एक एनजीओ की तरफ से याचिका दायर की थी और सिन्हा पर कोयला घोटाला मामले में जांच को प्रभावित करने का आरोप लगाया था।याचिका में एनजीओ कॉमन कॉज ने आरोप लगाया था कि पूर्व सीबीआई निदेशक के आंगतुक प्रवेश की डायरी ने साफ कर दिया है वह इस केस से जुड़े मशहूर आरोपियों से मिल रहे थे। याचिका में यह भी कहा गया था कि अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की आवश्यकता है ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि क्या धन का लेन-देन हुआ।एनजीओ ने अपने आवेदन में कहा था कि चूंकि दिल्ली पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उसकी 25 नवंबर 2014 की शिकायत पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की इसलिए सिन्हा द्वारा सीबीआई के तत्कालीन निदेशक के तौर पर अपने प्राधिकार का कथित तौर पर दुरपयोग करने की अदालत की निगरानी में जांच की आवश्यकता है।