आग बरसती गर्मी और मेहनतकश कामगार

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  लगभग पूरे विश्व में इस बार भीषण गर्मी पड़ रही है।  मौसम वैज्ञानिकों द्वारा इस बात की जानकारी पहले ही दी जा चुकी थी। आज जब सूर्य आग उगल रहा है और धरती पर आग बरस रही है तो मौसम वैज्ञानिकों की इस भविष्यवाणी को सही साबित होते हुये देखा भी जा रहा है।  ख़ासकर भारत सहित कई दक्षिण एशियाई देश इस समय भयंकर गर्मी व तपिश की मार झेल रहे हैं। न केवल सुबह होते ही आग बरसनी शुरू हो जाती है बल्कि गर्मियों की रात में जो मौसम थोड़ा बहुत ख़ुशगवार हुआ करता था वह रातें भी अब पूरी तरह से गर्म होने लगी हैं। परिणाम स्वरूप बाज़ारों व सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता है। आम लोग सिर्फ़ किसी बेहद ज़रूरी कामों से ही बाहर निकलते हैं अन्यथा बाज़ार की ख़रीद फ़रोख़्त के लिये शाम को ही घरों से निकल रहे हैं। 

                            परन्तु अपनी ड्यूटी निभाने वाले और मेहनतकश रिक्शा रेहड़ी वालों की क़िस्मत में आराम कहाँ ? रेलवे के मेहनतकश कर्मचारी,ख़लासी,गैंगमैन इसी प्रचंड गर्मी में तपते हुये रेल ट्रैक पर कहीं रेल की पटरी बदल कर रहे हैं तो कहीं भारी भारी स्लीपर इधर से उधर ले जा कर हमारी सुरक्षित रेल यात्रा सुनिश्चित कर रहे हैं। पुलिस के जवान मोटी वर्दियां टोपियां पहन कर सड़कों पर ड्यूटी दे रहे हैं। ट्रैफ़िक के जवान तपते सूरज की परवाह किये बिना चौक चौराहों पर खड़े होकर हमसबको सुरक्षित यातायात देने के लिये प्रतिबद्ध हैं। भारत में अब तक सौ से अधिक लोगों के इस गर्मी की चपेट में आकर मरने की ख़बर है। ज़रा सोचिये इसी गर्मी में होने वाले भीषण अग्निकांड में जो फ़ायर फ़ाइटर्स आग बुझाते हैं वे कितनी गर्मी का सामना करते होंगे ? भारत के जिन शहरों में 40 डिग्री तापमान में हाहाकार मच जाता था उन्हीं इलाक़ों में पारा 50 तक पहुँच गया है और कहीं कहीं तो 50 डिग्री से भी ऊपर चले जाने का समाचार है। जैसलमेर में बंगाल के जलपाईगुड़ी का रहने वाला 173 बटालियन का अजय कुमार नामक एक बी एस एफ़ का जवान अपनी ड्यूटी पर गर्मी के ताप को सहन न कर पाने के कारण अपनी जान गँवा बैठा। उत्तर भारत के कई इलाक़े गर्म हवा और लू की चपेट में हैं। इसी मौसम में कहीं कोई बुज़ुर्ग रिक्शा चलाते दिखाई देगा तो कोई भरी वज़न सिर पर उठाये। निर्माण क्षेत्र में तो करोड़ों लोग मिस्त्री व मज़दूर तपती धूप में खड़े होकर काम करते दिखाई देंगे। 

                              दूसरी तरफ़ ईश्वर की कृपा प्राप्त सुविधाभोगी व आराम परस्त वर्ग प्रकृति के इस प्रकोप से बचने के लिये तरह तरह की सुविधाओं का उपभोग कर गर्मी सी निजात पाने की कोशिश करता है। संपन्न वर्ग घरों में ए सी से लेकर कारों व कार्यालयों में भी ए सी का इस्तेमाल करता है। इसका परिणाम यह होता है कि जहाँ कारों से निकलने वाला ज़हरीला धुआं गर्मी के साथ साथ वातावरण के प्रदूषण को बढ़ता है वहीँ ए सी से निकलने वाली गर्मी भी पूरे वातावरण को और भी गर्म करती है। अत्यधिक बिजली खपत के चलते इन दिनों बिजली की कटौती भी ख़ूब होती है। बेशक यह सुविधासंपन्न लोगों का अधिकार भी है कि वे अपनी ज़रुरत के अनुसार सुविधाओं का इस्तेमाल भी करें। परन्तु इस तपती घूप व आग उगलती गर्मी में हम सब की सुविधाओं के लिये अपनी ड्यूटी निभाने वालों को नज़रअंदाज़ करना भी क़तई इंसानियत नहीं। 

                           ऐसे में यदि हम देखें कि कोई भारी वज़न लादे हुये मेहनतकश अपनी रेहड़ी ठेला खींच रहा है तो जल्दी रास्ता देने के लिये बार बार हॉर्न बजाकर उसे परेशान करने या उसपर ग़ुस्सा दिखाने के बजाये कार से उतरकर उसकी रेहड़ी ठेले को धक्का देकर उसकी मदद करने की कोशिश करें । इससे उसे सहायता भी मिलेगी साथ ही आपको यह एहसास भी होगा कि इतनी गर्मी में भारी वज़न खींचने वाले हम जैसे दूसरे इंसान पर क्या गुज़र रही होगी । कोई रेल कर्मी ,पुलिस कर्मी या ट्रैफ़िक वाला अथवा फ़ौजी धूप में ड्यूटी करता दिखाई दे तो उसे ठंडा पानी देने का प्रयास करें, किसी को छाता देकर उसे धूप से बचाने की कोशिश करें। संभव हो तो इस गर्मी में हाथ से हिलाने वाले पंखों का वितरण करें। ककड़ी,खीरा,तरबूज़ व ख़रबूज़ा जैसे गर्मियों में राहत देने वाले फल ज़रूरतमंदों को वितरित करें। ठन्डे पानी की छबीलें लगायें। अपने घरों दुकानों के आसपास सड़क पर जल छिड़काव करें। सरकार को भी सड़कों पर पानी का छिड़काव करने के लिये सक्रिय भूमिका निभानी चाहिये। ग़रीबों व आम लोगों के दान दक्षिणा से चलने वाले धर्मस्थलों को भी इस भयंकर गर्मी में अपनी दान पेटी का मुंह ऐसे रहत कार्यों के लिये खोलना चाहिये। अनावश्यक आग जलाने व धुआं फैलाने से भी परहेज़ करें। पेड़ काटने के बजाये वृक्ष लगाने के अभियान चलायें। 

                        याद रखिये आज जिस भीषण गर्मी का सामना हमसबको करना पड़ रहा है उसकी ज़िम्मेदार प्रकृति नहीं बल्कि हम स्वयं हैं। विकास के नाम पर फैलते कंक्रीट के जंगल, औद्योगीकरण के नाम पर समाप्त होती हरियाली,बढ़ता शहरीकरण,सम्पन्नता के नाम पर बढ़ते वाहन व ए सी,जंगलों की होती अंधाधुंध कटाई आदि मानव जनित है। और यही ग्लोबल वार्मिंग का भी कारण है ,इसी के चलते ग्लेशियर भी पिघलने लगे हैं। गोया आने वाले वर्ष और भी भयंकर गर्मी व तपिश लाने वाले हैं। हम भारतीय लोग जो 40 डिग्री तापमान सहन नहीं कर पाते थे अब 50 डिग्री यानी अरब देशों में पड़ने वाली सामान्य गर्मी झेलने के लिये मजबूर हैं। धनाढ्य लोग जो गर्मी के मौसम में पहाड़ी क्षेत्रों में चले जाया करते थे उनकी बढ़ती संख्या ने वहां के मौसम को भी बदल दिया है। मिसाल के तौर पर शिमला व नैनीताल जैसे पर्वतीय पर्यटन स्थलों पर भी अब ख़ूब गर्मी पड़ने लगी है। कारों की क़तारें ,ट्रैफ़िक जाम,असंख्य होटल,पार्किंग समस्या लगभग सभी पर्वतीय पर्यटन क्षेत्रों की नियति बनकर रह गयी है। ऐसे में प्रत्येक साधन संपन्न व धनाढ्य लोगों का कर्तव्य है कि वे इस आग बरसती भीषण गर्मी में जहाँ स्वयं वातावरण को और अधिक प्रदूषित करने से परहेज़ करने का प्रयास करें वहीँ मेहनतकश व कामगार लोगों पर तरस खायें और उन्हें यथा संभव सहयोग करें। यक़ीन जानिये आपकी थोड़ी सी सहायता व सहयोग से किसी कामगार,मज़दूर व जवान के दिल से निकली दुआ आपको न केवल पुण्य का भागीदार बनायेगी बल्कि आपकी आत्मा को भी तृप्त करेगी।निर्मल रानी

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