जब पवित्र पावक मनमोहक
दिन चुनाव का आता है
भोलाराम निकलकर घर से
वोट डालने जाता है|
दिन चुनाव का आता है
भोलाराम निकलकर घर से
वोट डालने जाता है|
किसे चुने या किसे वोट दें
नहीं समझ वह पाता है
सौ का नोट उसे जो देता
वह उसका हो जाता है|
नहीं समझ वह पाता है
सौ का नोट उसे जो देता
वह उसका हो जाता है|
दो दिन पहले तक चुनाव के
लोग कई घर आते हैं
लालच देकर हाथ जोड़कर
हर कोई उसे मनाता है|
लोग कई घर आते हैं
लालच देकर हाथ जोड़कर
हर कोई उसे मनाता है|
हर आने वाले से कहता
वोट तुम्हें ही हम देंगे
किंतु वोट किसको देना है
वही समझ न पाता है|
वोट तुम्हें ही हम देंगे
किंतु वोट किसको देना है
वही समझ न पाता है|
अंतिम दिन जो दर पर आकर
दारू और कंबल देता
बिना किसी भी सोच समझ के
वोट उसे दे आता है|
दारू और कंबल देता
बिना किसी भी सोच समझ के
वोट उसे दे आता है|
हर चुनाव में इसी तरह से
वोटर वोट दिया करते
इसीलिये तो भारत पुख्ता
प्रजातंत्र कहलाता है|
वोटर वोट दिया करते
इसीलिये तो भारत पुख्ता
प्रजातंत्र कहलाता है|