—विनय कुमार विनायक
तुम बनो बुद्ध करो अपने आपको शुद्ध,
शुद्धि चाहिए स्वमन वचन और कर्म में!
तुम बनो बुद्ध करो नहीं अपनों से युद्ध,
युद्ध त्याग दो क्षुद्र स्वार्थपूर्ति के क्रम में!
तुम बनो बुद्ध होना नहीं कभी भी क्रुद्ध,
क्रोध का परित्याग हो मानववादी धर्म में!
तुम बनो बुद्ध होना नहीं कभी भी क्षुब्ध,
क्षोभ अफसोस पछतावा हो ना अंतर्मन में!
तुम बनो बुद्ध करुणा अहिंसावादी प्रबुद्ध,
हिंसा द्वेष जिलन परित्याग करो जीवन में!
देवाधिदेव महादेव अल्लाह के अल्लाह रुद्र,
पूरी कायनात के मालिक हैं रखो जेहन में!
धर्म के मर्म को समझो शिव हीं हैं सिद्ध,
सत्य सनातन सुन्दर बसे हुए जीव तन में!
शिव नहीं तो सबके सब शव खाएंगे गिद्ध,
सत्यमेव जयते सत्य को उतार लो मन में!
शिव मृत्यु के देवता,शिव गति नहीं अवरुद्ध,
शिव दिखते भू आकाश अंतरिक्ष विचरण में!
—-विनय कुमार विनायक