आर के रस्तोगी
प्यारे भाइयो,तुम अपनी दिनचर्या में
यदि करते हो रोजना तुम योग
मिल जायेगे सारे सुख सम्पत्ति
उसका कर सकते हो तुम भोग
तरह तरह के आसन है इसमें
और तरह तरह के इसके नाम
शरीर के सब अंग प्रय्तंगो को
मिलता रहेगा तुमको आराम
हर कोई इसको कर सकता है
छोटा बड़ा और अमीर गरीब
न औषधि की जरूरत होगी
न ही बीमारी आयेगी करीब
अगर शरीर स्वस्थ रहेगा तो
मन भी स्वस्थ रहेगा तेरा
अच्छी अच्छी बाते सोचेगे
फिर आयेगा एक नया सबेरा
योग में कुछ व्यय नहीं होता
बिन पैसे सब कुछ हो जाता
डाक्टर अस्तपताल से दूर रहोगे
यह पते की बात तुम्हे बताता
योग करोगे जब तुम रोजाना
निरोग रहेगा शरीर तुम्हारा
चिंता मुक्त हो जाओगे तुम
फिर खूब चलेगा शरीर तुम्हारा
योग करोगे तो भोग कर सकते हो
बिना योग कुछ नहीं कर पाओगे
यदि योग का साथ छोड़ दिया
सीधे नरक लोक को जाओगे
आभार व्यक्त करता हूँ मै
मोदी जी की सरकार का
जिन्होंने बीड़ा उठा लिया है
सब रोगों के उपचार का
21 जून को एक करे प्रण हम
योग को हम सब अपनायगे
भारत होगा एक निरोगी देश
ये हम सारे विश्व को बतायेगे
नमस्कार, रस्तोगी जी लगे रहिए.
टिप्पणी लिखूँ या ना लिखूँ, आपकी कविता अवश्य पढ लेता हूँ.
विशेष आपकी कविता मात्र कविता ही नहीं होती; उसमें सीख भी होती है.
कभी व्यंग्य भी होता है.
सामयिक विषय होता है.
आप की लेखनी रोचक है.
सदैव कुछ विशेषता अवश्य होती है.
धन्यवाद.
मधुसूदन
डॉ.मधुसूदन जी
नमस्कार, विलम्ब के लिये क्षमा करना| प्रंशसा के लिये बहुत बहुत धन्यवाद | मेरा एक काव्य संग्रह आ रहा है ,मै चाहता हूँ कि मेरी रचनाओ तथा मेरे बारे में कुछ टिपण्णी लिखे जिसको मै संग्रह के कुछ पहले प्रश्ठो पर देना चाहता हूँ मेरा जीवन परिचय कविता से पूर्व ही लिखा रहता है अगर आप और कुछ मेरे बारे या कविता के बारे में पूछना चाहते है तो मै आपको अवगत करा दूंगा | आशा है कि मेरी इस इच्छा की पूर्ती करने की कृपा करेगे
भवदीय
राम कृष्ण रस्तोगी