रविरंजन आनन्द
कहते हैं न कि देश में कोई बहुत बड़ा राजनीतिक परिवर्तन होता है तो उसमें बिहार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. उस राजनीतिक परिर्वतन की शुरूआत बिहार से हो गई है. अभी हाल के दिनों में नीतीश से लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान व रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा का मिलना कहीं न कहीं 2019 में देश के राजनीतिक बदलाव के संकेत है. इधर पहले से ही केंद्र से बिहार को स्पेशल स्टेट का दर्जा देने की मांग नीतीश कुमार की ओर से किया जा रहा था. जब महागबंधन से नीतीश कुमार बीजेपी के साथ आये, तब से जदयू ने स्पेशल स्टेट के दर्जा के मांग को कूडे़दान में फेक दिया था. इधर कुछ दिनों से पुन: नीतीश कुमार ने स्पेशल स्टेट का मांग फिर से शुरू कर दिया है. जिसमें लोजपा व रालोसपा ने भी नीतीश कुमार के इस मांग का पूरे जोर समर्थन किया है. जदयू संगठन के एक बड़े नेता ने बताया कि नीतीश से उपेन्द्र कुशवाहा व रामविलास पासवान की कोई औपचारिक मुलकात नहीं थी.नीतीश कुमार के मन से आज भी प्रधानमंत्री बनने की महत्वकांक्षा नहीं गई है. इसलिए नीतीश कुमार राजद व कांग्रेस को छोड़कर जितनी भी पार्टिया है उनसे संपर्क कर तीसरे मौर्च बनाने की तैयारी कर रहे है. जो 2019 में भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ेगा. नीतीश से मुलकात के दौरान उपेन्द्र कुशवाहा ने भी अपनी महत्वकांक्षा जाहिर कर दी है. यदि तीसरा मौर्चा 2019 के चुनाव में सफल रहा तो 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में तीसरे मोर्चा की ओर से बतौर सीएम पद के प्रत्याशी उपेन्द्र कुशवाहा घोषित हो सकते है. यह रजामंदी नीतीश कुमार को भी मंजूर है. वहीं नीतीश ने तीसरे मौर्च में मुलायम व ममता को बैगर कांग्रेस व राजद लाने की जिम्मेवारी भी ली है. यदि 2019 के चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत में नहीं आई और इधर तीसरा मौर्चा को बिहार व उतर प्रदेश में सफलता मिल गई, तो नीतीश कुमार का पीएम बनने का कुछ हद तक सपना पूरा हो सकता है. मुलायम व ममता साथ दे तब . वहीं बिहार सरकार में एक युवा मंत्री इस बात बताते है कि अभी करीब दो-तीन महीने पहले लोकसभा चुनाव के सीटों के संदर्भ में नीतीश कुमार ने तीन बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने का समय लेने का प्रयास किया था. लेकिन अमित शाह ने समय की व्यस्थता बताते हुए नीतीश को मिलने के लिए समय नहीं दिया. मजबूरन नीतीश को बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल से मिलना पड़ा. रामलाल ने नीतीश को बिहार में लोकसभा चुनाव में सीटों के बटवारे के संदर्भ में स्पष्ट कर दिया कि जदयू पिछले लोकसभा में मात्र दो सीट ही जीत पाई है. ऐसे में बीजेपी जदयू को चार सीट दे सकती है. यदि जदयू को अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना है तो वह रालोसपा व लोजपा से मैंनेज करना पड़ेगा. वहीं अभी उतर प्रदेश , बिहार व महाराष्ट्र में हुए उपचुनाव में बीजेपी की हुई करारी हार भी तीसरे मौर्च के गठन में उम्मीद की किरण डाल दी.2019 का लोकसभा चुनाव ही बतायेगा कि बिहार में बिछने वाले तीसरे मौर्च के गठन के बिसात में नीतीश अपने मुकाम पर कितने सफल नजर आते है.